रमेश बाबू की कहानी - नाई से अरबपति तक का सफर

चेन्नई में, रमेश बाबू नाम का एक साधारण नाई रहता था। बचपन में ही उसके पिता का देहांत हो गया था और वह एक छोटी सी नाई की दुकान छोड़ गया था। उसका परिवार गुज़ारा करने के लिए संघर्ष कर रहा था, और रमेश गुज़ारा चलाने के लिए बाल काटता रहा।

लेकिन उसका एक सपना था - एक कार का मालिक बनना।

1993 में, उसने अपनी बचत से अपनी पहली मारुति वैन खरीदी और अतिरिक्त आय के लिए उसे किराए पर देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, उसने अपना व्यवसाय बढ़ाया और और कारें खरीदने लगा। वह हमेशा गुणवत्तापूर्ण सेवा और समय की पाबंदी पर ध्यान केंद्रित करता था।

रमेश बाबू

सालों बाद, उसकी कंपनी - रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स - बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज़ और यहाँ तक कि रोल्स रॉयस जैसी कारों के साथ एक लग्ज़री कार रेंटल सेवा में बदल गई।

करोड़पति बनने के बाद भी, रमेश बाबू चेन्नई में अपने छोटे से सैलून में बाल काटते हैं!

उनकी कहानी बताती है कि:

"कोई भी काम छोटा नहीं होता, और कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, अगर आपमें हर दिन कड़ी मेहनत करने का साहस हो।"

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